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लोकसभा सलेमपुर में बढ़ीं सियासी सरगर्मियां,भारी कौन?

सलेमपुर – लोकसभा चुनाव सर पर है ऐसे में टिकट के दावेदारों में दौड़ तेज हो गई है।हर दावेदार अपनी राजनीतिक भूमि मजबूत करने में लगा हुआ है। विशेषज्ञों की मानें तो चुनाव से पहले राजनैतिक दलों का अपना सर्वे किया जाता है जिसके आधार पर पार्टीयां अपना प्रत्याशी उतारती हैं।बात भाजपा की करें तो रविन्द्र कुशवाहा सलेमपुर से दूसरी बार सांसद हैं जो जातिगत पकड़ तथा अपने पिता के राजनैतिक विरासत को संभाल रहे हैं। हालांकि वे इस बार भी भाजपा से अपनी दावेदारी को लेकर आश्वस्त हैं लेकिन पिछले दो वर्ष से धुआंधार प्रणाम यात्रा से जनता तक प्रत्यक्ष पहुंचने और अपनी जोरदार भाषण शैली के कारण सियासी माहौल गर्म करने वाले शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप से उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है। स्वामी आनंद स्वरूप ने पूरे लोकसभा में हनुमत दिग्विजय रथ यात्रा से अपने राजनैतिक आधार को मजबूत किया है तथा भागलपुर में कालीचरण घाट पर मुक्ति लोक का शिलान्यास करके हिन्दू जनमानस के दिलों में उतरने का प्रयास किया है।दोनों नेता शीर्ष नेतृत्व में अच्छी पकड़ के आधार पर अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं। हालांकि सोशल मीडिया में विकास के नाम पर वर्तमान सांसद की भद पिट रही है लेकिन अपनी लोकसभा में वे सबसे अधिक कार्य कराने का दावा भी कर रहे हैं।वहीं दूसरी ओर प्रसिद्ध व्यवसायी राजेश सिंह दयाल भी सभी विधानसभाओं में अपने सौजन्य से स्वास्थ्य कैम्प का आयोजन करके जनता के दिलों में तथा पार्टी में अपनी समाजसेवी छवि को बनाने का प्रयास करते दिख रहे हैं।राजभर फैक्टर का भी सीट पर असर रहता है भाजपा इस विषय पर भी विचार कर सकती है। बात समाजवादी पार्टी की करें तो वर्तमान समय में दो नेताओं के बीच काफी जोरदार टक्कर देखने को मिल रही है।एक तरफ सलेमपुर से पूर्व विधायक रहे सुरेश यादव के पुत्र तथा समाजवादी पार्टी में अपनी अच्छी पकड़ रखने वाले ओपी यादव मैदान में हैं वहीं पूर्व सांसद रहे रमाशंकर विद्यार्थी भी अपनी दौड़ तेज कर दिए हैं।अब देखना बड़ा ही रोचक होगा कि टिकट की दौड़ में सफल कौन होता है।जनता की मानें तो पार्टी को व्यक्तिगत योग्यता और जनाधार के आधार पर ही टिकट देना चाहिए। हालांकि कुछ लोग सलेमपुर में सामान्य वर्ग के वोटरों की संख्या अधिक होने पर सामान्य जाति के प्रतिनिधित्व की बात करते हैं और कहते हैं कि सलेमपुर लोकसभा सीट को पिछड़ा सीट कहकर हमारा हक छीना जाता है।पार्टी को इस विषय पर भी विचार करना चाहिए।

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