निशिकांत दुबे का हालिया बयान ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर कांग्रेस के ‘इशारों’ पर काम करने का आरोप लगाया है, कोई नई बात नहीं है। यह तो कांग्रेस के न्यायपालिका विरोधी इतिहास का एक और अध्याय है, जो आजादी के बाद से ही लिखा जा रहा है। कांग्रेस, जिसने लोकतंत्र के नाम पर वंशवाद का साम्राज्य स्थापित किया, हमेशा से ही न्यायपालिका को अपनी जागीर समझती रही है। जब भी न्यायपालिका ने कांग्रेस के मनसूबों पर पानी फेरा, कांग्रेस ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए।
आजादी के बाद, जब न्यायपालिका ने ‘भूमि सुधार’ और ‘बैंकों के राष्ट्रीयकरण’ जैसे कांग्रेस के ‘खोखले समाजवादी’ सपनों पर लगाम लगाई, तो कांग्रेस ने न्यायपालिका को प्रतिबद्ध बनाने का नारा दिया। उन्होंने सुपरसीड के माध्यम से अपनी पसंद के जजों को नियुक्त किया, ताकि न्यायपालिका उनके इशारों पर नाच सके। जब आपातकाल के दौरान न्यायपालिका ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने की कोशिश की, तो कांग्रेस ने मीसा और डीआईआर जैसे काले कानूनों का सहारा लिया। उन्होंने न्यायपालिका को डराने और दबाने की हर संभव कोशिश की।
जब शाह बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने की कोशिश की, तो कांग्रेस ने ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ के लिए संसद में कानून बदलकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। जब ‘बोफोर्स घोटाले’ में सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी के करीबियों से पूछताछ करने का आदेश दिया, तो कांग्रेस ने न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की। उन्होंने न्यायपालिका पर पक्षपात का आरोप लगाया और जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। जब ‘अयोध्या मामले’ में सुप्रीम कोर्ट ने ‘राम मंदिर’ के पक्ष में फैसला सुनाया, तो कांग्रेस ने ‘न्यायपालिका पर सांप्रदायिक’ होने का आरोप लगाया। उन्होंने न्यायपालिका को बदनाम करने और सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश की।
निशिकांत दुबे का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर कांग्रेस के इशारों पर काम करने का आरोप लगाया है, कांग्रेस के न्यायपालिका विरोधी इतिहास का एक और उदाहरण है। यह बयान कांग्रेस की उस मानसिकता को दर्शाता है, जिसमें वे न्यायपालिका को अपनी जागीर समझते हैं।
कांग्रेस को यह समझना होगा कि न्यायपालिका लोकतंत्र का स्तंभ है, न कि ‘वंशवाद’ का खिलौना। न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला करना लोकतंत्र पर हमला करना है। कांग्रेस को न्यायपालिका का सम्मान करना सीखना होगा, अन्यथा इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। कांग्रेस के न्यायपालिका विरोधी रवैये के कारण, आज न्यायपालिका की साख दांव पर लगी है। न्यायपालिका को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करना होगा, ताकि आम आदमी का न्यायपालिका पर विश्वास बना रहे।
न्यायपालिका को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए, जनता को भी जागरूक होना होगा। जनता को राजनीतिक दलों के न्यायपालिका विरोधी रवैये का विरोध करना होगा।
न्यायपालिका लोकतंत्र का मंदिर है। इस मंदिर को वंशवाद के हथौड़े से बचाना होगा। न्यायपालिका को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए, हम सबको मिलकर काम करना होगा और कांग्रेस की समाज विरोधी नीतियों को मिलकर नकारना होगा।