हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सभी राज्य मुख्यमंत्रियों को दिए गए निर्देशों ने भारत में अवैध प्रवासियों के खिलाफ एक सख्त मुहिम की शुरुआत की है। विशेष रूप से, पाकिस्तान के नागरिकों के वीजा को रद्द करने के साथ ही, केंद्र ने अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों को भारत से बाहर निकालने के लिए राज्यों को प्रेरित किया है। गुजरात के अहमदाबाद में चलाए गए अभियान में 400 से अधिक संदिग्ध प्रवासियों को हिरासत में लिया गया। यह स्पष्ट है कि यदि गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्य यह कर सकते हैं, तो अन्य राज्य भी अपने-अपने क्षेत्रों में अवैध प्रवासियों की पहचान और उन्हें निष्कासित करने के लिए आवश्यक कदम क्यों नहीं उठा सकते?
गुजरात में कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ एक समन्वित और प्रभावी अभियान चलाया है। अहमदाबाद के विभिन्न इलाकों में हुई छापेमारी में न सिर्फ बांग्लादेशी नागरिक बल्कि अन्य संदिग्ध विदेशी भी पकड़े गए हैं। स्थानीय पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीमों ने मिलकर यह सुनिश्चित किया है कि अवैध प्रवासियों के साथ सख्ती से निपटा जाए। यह अभियान अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है, जहां अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है। अगर गुजरात इस मुहिम में सफल हो सकता है, तो यह सवाल उठता है कि अन्य राज्य, जैसे राजस्थान, क्यों पीछे रह जाते हैं।
भारत में इस समय अवैध प्रवासियों को लेकर जो गंभीर स्थिति बन रही है, उसे देखते हुए सभी राज्यों को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। सख्त नीतियों और प्रभावी कानूनों के माध्यम से ही हम इस समस्या से निपट सकते हैं। केवल यही उपाय नहीं है, बल्कि यह आवश्यक है कि हम ऐसे कानूनों का निर्माण करें जो इन प्रवासियों की पहचान, डिटेंशन और डिपोर्टेशन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करें। इस दिशा में उठाए गए कदम न केवल वर्तमान संकट से निपटने में मदद करेंगे, बल्कि भविष्य में भी इसी समस्या से निपटने के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेंगे। राष्ट्रपति की अगुवाई में चलने वाली यह मुहिम हमें एकजुट होकर अवैध प्रवासियों का सामना करने का अवसर देती है।