जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने एक बार फिर भारत के सब्र का इम्तिहान लेने की कोशिश की है। 26 निर्दोष लोगों की जान जाने के बाद भारत का गुस्सा स्वाभाविक है, लेकिन इस बार नारे नहीं, निर्णायक कदम उठाने की मांग उठ रही है। ऐसे माहौल में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ की गीदड़भभकी सामने आई है, जिसमें वे भारत के साथ युद्ध की आशंका जता रहे हैं।
आसिफ ने इस्लामाबाद में मीडिया से बातचीत में दावा किया कि पाकिस्तान ने अपनी सेनाओं को हाई अलर्ट पर रखा है और रणनीतिक फैसले भी लिए हैं। लेकिन यह बयान पाकिस्तान की घबराहट और हताशा को ही उजागर करता है, क्योंकि इतिहास गवाह है कि जब भी पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ इस तरह की बयानबाजी की है, उसे करारी शिकस्त ही मिली है।
भारत का रुख: अब शब्द नहीं, सीधी कार्रवाई का समय
भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं होगा। बालाकोट एयर स्ट्राइक से लेकर उरी सर्जिकल स्ट्राइक तक भारत ने दुनिया को दिखा दिया कि जब उसके धैर्य का बांध टूटता है तो जवाब शब्दों में नहीं, एक्शन में मिलता है। इस बार भी सीमा पर भारतीय सेना पूरी तरह सक्रिय है और स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है।
परमाणु हमले की खोखली धमकी
ख्वाजा आसिफ ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की घिसी-पिटी धमकी दोहराई, लेकिन भारत अब इन धमकियों से डरने वाला नहीं है। भारत जानता है कि पाकिस्तान की परमाणु शेखी असल में उसकी अपनी आंतरिक कमजोरी और असुरक्षा का प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की ऐसी भाषा उसकी छवि को और बदतर ही करती है।
भारत ने अब तय कर लिया है कि आतंकवाद को जड़ से खत्म करना है, चाहे इसके लिए सीमा पार भी कार्रवाई क्यों न करनी पड़े। पाकिस्तान की गीदड़भभकियों का जवाब भारत अपने मजबूत संकल्प और निर्णायक कदमों से देगा। अब वक़्त बदल चुका है और इतिहास एक बार फिर गवाह बनेगा, भारत जब ठान लेता है, तो परिणाम बदलते हैं।