राजनीति

जयपुर में फन फैलाए बैठे हैं कई “आस्तीन के सांप”, “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारों से इन्हें होता है दर्द

जयपुर, जो अपने सांप्रदायिक सौहार्द के लिए जाना जाता है, कांग्रेस विधायक रफीक खान द्वारा आतंकवाद विरोधी प्रदर्शनों के बीच अशांति भड़काने के प्रयासों के कारण तनाव का सामना कर रहा है। पुलिस की कार्रवाई और इन उपद्रवों के पीछे राजनीतिक मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।

गुलाबी नगरी के नाम से मशहूर जयपुर सदियों से भाईचारे और अमन का शहर रहा है। हालात चाहे जैसे भी रहे हों जयपुर को कभी भी सांप्रदायिक रंग नहीं भाया। लेकिन अब कुछ लोग लगातार इस तरह की कोशिशों में लगे हैं कि किसी भी तरह से जयपुर के माहौल को बिगाड़कर दंगे करवाए जाएं और उन दंगों की आड़ में वे अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक लें।

जयपुर की हवाओं और फिजाओं में जहर घोलने का ये काम कांग्रेस के विधायक रफीक खान कर रहे हैं। रफीक खान लगातार ऐसी कोशिशों में लगे हैं कि किसी भी तरह से जयपुर का माहौल खराब हो जाए और वे उसका पॉलिटिकल माइलेज ले जाएं।

आतंकी घटना के विरोध में जुटे थे लोग

यकीन ना हो तो अभी के एक ताजा घटनाक्रम पर गौर करें। पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में रोष है। उसी सिलसिले में जयपुर के जौहरी बाजार में आतंकियों और पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए जयपुर के लोग इकठ्ठा हुए थे। उसी प्रदर्शन में हवामहल से भाजपा विधायक बालमुकुंदाचार्य भी अपने समर्थकों के साथ शामिल होने के लिए पहुंचे थे।

पाकिस्तान प्रेमी रफीक खान ने मुसलमानों को भड़काया

वहां जमा हुई भीड़ में पाकिस्तान और आतंकियों के खिलाफ भारी गुस्सा और रोष था। विधायक बालमुकुंदाचार्य के पहुंचने के बाद भीड़ ने जोर-जोर से नारेबाजी शुरू का दी। जब उस पूरी घटना की जानकारी आदर्श नगर से कांग्रेस विधायक रफीक खान को मालूम चली तो भीड़ द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाना उन्हें नागवार गुजरा। मौका देखकर फट से रफीक खान भी वहां पहुंच गए और मस्जिद में जाकर स्थानीय मुसलमानों को भड़काना शुरू कर दिया।

कांग्रेस विधायक का सियासी खेल

यहां गौर करने वाली बात है कि आतंकवाद के खिलाफ यह प्रदर्शन किसी धार्मिक संगठन या संस्था ने नहीं बुलाया था। जयपुर के लोग खुद की प्रेरणा से आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ अपना विरोध प्रकट करने के लिए इकठ्ठा हुए थे। लेकिन कांग्रेस विधायक रफीक खान ने इस विरोध प्रदर्शन को मजहबी रंग देते हुए अपनी पॉलिटिक्स शुरू कर दी।

भगवा रंग से इतना डरते क्यों हैं रफीक खान?

ना जाने क्या कारण थे कि एक भगवाधारी भाजपा विधायक की उस विरोध प्रदर्शन में मौजूदगी कांग्रेस विधायक को इतनी खल रही थी। अचानक से रफीक खान अपने समर्थकों को लेकर पहुंचे और भाजपा विधायक से जाकर भिड़े। रफीक खान का उद्देश्य सिर्फ इतना सा था कि वे किसी भी तरह पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ लामबंद हुए लोगों के बीच माहौल खराब कर दें ताकि दंगे हो जाएं। लेकिन हिन्दू जनता की आपसी समझ से रफीक खान की ये कोशिश भी नाकाम हो गई।

पाकिस्तान परस्तों ने संत के खिलाफ दर्ज करवाया केस

बड़े शातिराना अंदाज में विक्टिम कार्ड खेलते हुए रफीक खान पुलिस थाने पहुंचे। भाजपा विधायक पर अनाप – शनाप आरोप लगाकर एक जूठा केस भी दर्ज करवा दिया ताकि खुद को और अपने समर्थकों को विक्टिम दिखा सकें। सवाल तो ये भी है कि जिस क्षेत्र का ये मामला है रफीक खान वहां के न तो विधायक हैं और ना ही नागरिक फिर उनके अचानक से वहां पहुंचने का उद्देश्य क्या था?

पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में

यहां सवाल तो पुलिसिया कार्यवाही पर भी उठता है कि जब भाजपा विधायक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है तो वहां के मुसलमानों को भड़काने और दंगा करवाने की कोशिश करने वाले रफीक खान के खिलाफ कोई मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया? क्या कानून के पालना की पूरी जिम्मेदारी केवल हिंदुओं की है? और अगर ऐसा नहीं है तो केस उस रफीक खान के खिलाफ भी दर्ज होना चाहिए, जिसने देश की अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया है।

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